Milkha singh full history in hindi

          वर्ष के मेलबर्न ओलंपिक, वर्ष के रोम ओलंपिक तथा वर्ष में टोक्यो में आयोजित ओलंपिक आदि में मिल्खा सिंह ने हमेशा भारत का प्रतिनिधित्व किया।.

        1. This video is about the life story of indian athlete Milkha Singh.
        2. Milkha Singh: महीने भर कोरोना से जूझने के बाद फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह जिंदगी की जंग हार गए हैं.
        3. मिल्खा सिंह ने मीटर की दौड़ में भाग लेकर सेकेंड का नेशनल रिकॉर्ड बनाया। वर्ष में, जकार्ता में आयोजित एशियाई खेलों में दो और स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। वर्ष में लाहौर में.
        4. भारत के विभाजन के बाद की अफ़रा तफ़री में मिलखा सिंह ने अपने माँ बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से भारत आए। ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठानी।.
        5. Milkha Singh: महीने भर कोरोना से जूझने के बाद फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह जिंदगी की जंग हार गए हैं....

          मिलखा सिंह

          मिलखा सिंह (जन्म: २० नवंबर १९२९ - मृत्यु: १८ जून २०२१) एक भारतीय धावक थे,[1] जिन्होंने रोम के १९६० ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के १९६४ ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें "उड़न सिख" उपनाम दिया गया था। वे भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में से एक थे। वे एक राजपूूूत सिख (राठौड़) परिवार से थे। [2]

          भारत सरकार ने १९५९ में उन्हें पद्म श्री की उपाधि से भी सम्मानित किया।

          बचपन

          मिलखा सिंह का जन्म २० नवंबर१९२९ को गोविन्दपुर (जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में पड़ता है) में एक सिख जाट परिवार में हुआ था।[3]भारत के विभाजन के बाद की अफ़रा तफ़री में मिलखा सिंह ने अपने माँ-बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन से पाकिस्तान से भारत आए। ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठानी।

          मिल्खा सिंह सेना में भर्ती होने की कोशिश करते रहे और अंततः वर्ष 1952 में वह सेना की विद्युत मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा में शामिल होने में सफल हो गये। एक बार सशस्त्र बल के उनके कोच हवीलदार गुरुदेव सिंह ने उन्हें दौड़